नई दिल्ली (न्यूज ग्राउंड) :चौधरी साहब आजीवन परिवारवाद के ख़िलाफ़ थे !नेहरू से उनके मतभेद का एक कारण भी यही था कि इंदिरा को राजनीति में क्यों लाए ? कोंग्रेस आंदोलन की पार्टी है इसमें तमाम समर्पित लोग है !यद्यपि नेहरू जी परिपक्व होने के बाद ही इंद्रा को लाए थे लेकिन चौधरी साहब नहीं चाहते थे कि परिवार के नाम पर उसूल तोड़ा जाए !क्यूँकि चरण सिंह स्वयंएक संस्था थे , एक आदर्श थे इसीलिए उन्होंने अपने परिवार के किसी व्यक्ति को राजनेतिक विरासत देने की इच्छा कभी व्यक्त नहीं की !कुछ कारणो से विशेषकर स्थानीय पारतिजनो के विवाद निबटाने हेतु माता जी को चुनाव लड़ना पड़ा लेकिन राजनेतिक विरासत नहीं बनाने दी आजीवन !अजीत सिंह को १९८४ में स्वस्थ्य कारणो से अमेरिका से वापस ज़रूर बुला लिया था लेकिन राजनीति में लाने की मंशा कदाचित नहीं रही !इसलिए उत्तर प्रदेश के लिए मुलायम सिंह को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था उनकी राह में काँटा बनने वाले राजेंद्र सिंह अलीगढ़ को नेता विपक्ष से भी हटाकर मुलायम को बनाया था !परिणाम स्वरूप राजनीति के सारे हतकंडे सीखकर मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने ! फिर भी लोकदल के चंद चाटुकार सजातीय विधायकों ने चाटुकारिता के तहत चौधरी चरण सिंह के निधन के बाद अजीत सिंह को राजनीति में खीच लिया और मुलायम के सामने मुख्यमंत्री के चुनाव में खड़ा कर दिया !पाँच बार केंद्र में मंत्री रहने के बाद भी अजीत सिंह का ग्राफ़ गिरता गया और मुलायम सिंह का उठता गया ! मुलायम सिंह ने दिल से चो साह ब को अपनाया था और उनके नाम अनेक काम स्मृति स्वरूप कराए ( फिर लिखूँगा ) किंतु अजीत सिंह एक जाति तक सीमित हो गए और धीरे धीरे वो जाति भी उनकी झोली से खिसक गई केंद्रीय मंत्री के रूप में वो चो साहब की कोठी भी स्मारक में नहीं बदलवा पाए जबकि उनके समकालीन नेताओं के स्मारक बनाए गये अपितु १२ तुग़लक़ रोड अपने नाम आवंटित करा ली ! क्योंकि जाट बहादुर लड़ाका जाति के वोटर अजीत सिंह की दोगली नीतियों पर नहीं चल सकते थे की वो जब चाहे सत्ता के लालच में किसी भी पार्टी में शामिल होंजाएँ ! रही सही कमी अजीत के बेटे जयंत ने पूरी कर दी जिनका धर्म ,ईमान केवल टिकटें बाँट कर पैसे बटोरने तक सीमित था परिणाम स्वरूप जाट जो की एक ईमानदार राजनीति का पक्षकार रहा है इस परिवार से दूर हटता चला गया ! विगत तीन-चार लोक सभा विधान सभा चुनावों में “प्रत्यक्षम किम प्रमाणम “के आधार पर इस परिवार का परीक्षण किया जा सकता है ..जाट पूरी तरह छिटक कर मजबूरन ही सही लेकिन भाजपा के साथ जा चुका है !लोक सभा और विधान सभा से अजीत/जयंत का खाता शून्य हो चुका है ! उल्लेखनीय है कि चौधरी चरण सिंह ने कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री अपनी कलम से नामित किए , वह जाट नहीं समस्त किसान जातियों को जगाकर राजनीति के बटवृक्ष बने थे सारे देश में ! उनकी औलादें पुत्र , पौत्र इस किसान के देवता ,देश के नेता का नाम डुबोने पर आमादा हैं !वो स्वयं दोनो लोकसभा में मुँह की खा चुके हैं ! .. हाल ही हुए उपचुनाव में अखिलेश की खुशामद कर के आठ में से एक सीट खाते में ले आए थे .. उस सीट ‘बुलन्दशहर ‘ जो चो साहब की जन्म भूमि थी सदा उनका परचम लहराता था उसने हाल ही आए उप चुनाव परिणाम में अपनी छीछालेदर करा कर ....7286 वोट ...पा कर ज़मानत ज़ब्त कराई है! हैंड पम्प से बालू निकल रही है पर वो चो का नाम डुबोने पर आमादा है ! चौधरी चरण सिंह वो नेता थे जिनका सभी पार्टियाँ और जातियाँ सम्म!नकरती थी ,वो सिर्फ़ जाटों के नहीं अपितु पूरे देश के नेता थे, पिछड़े , दलित ,अकलियसत किसान कामगार के नेता ही नहीं मसीहा थे ! ये बुलन्दशहर उप चुनाव के आँकड़े जयंत के तथाकथित ‘राष्ट्रीय लोकदल ‘की असलियत जाट बाहुल्य बुलन्दशहर ज़िले में साबित हो रही है ! चो चरण सिंह हलधर किसान चुनाव चिन्ह वाले असली ...०लोकदल “ के अध्यक्ष बने थे सात पार्टी के विलय के बाद जिसके चिन्ह पर ( हलधर ) पर पूरे देश में जनता पार्टी चुनाव लड़ी थी हस्ताक्षर भी B form पर चरण सिंह ने किए थे !आज की भाजपा (जनसंघ) उस जनता पार्टी का घटक दल थी जिसके नेता चोधरी थे ! अब बहुत हुआ .. चरण सिंह जैसी शख़्सियत का अपमान सहा नहीं जा रहा .. कि उनके नाम को डुबोते हुए उनका परिवार राजनीति करे .. जिसका हर दल का नेता सम्मान से नाम लेता हो पूरे देश में उसको उल्टा गाड़ा का रहा है ..? मेरी अपेक्षा है कि अपनी महत्वाकांछा के लिए चरण सिंह को बदनाम कर बेचने का काम ना करें ..और अपनी दुकान में ताला लगा कर अपने उद्धयोग धंधे चलाएँ ... जो उनका मूल उद्देश्य है ..!