मानव शरीर का प्रत्येक अंग उपांग बेशकीमती हैं ,शरीर स्वास्थ्य बहुत बड़ी नियामत हैं .स्वस्थ्य शरीर से धरम,अर्थ काम, मोक्ष चार पुरुषार्थ प्राप्त कर सकते हैं .वर्तमान की आपाधापी में मानव कार्याधिकता के कारण अपने लिए समय नहीं निकल पाता और अनियमित दिनचर्या के कारण हम अनायास कई बीमारियां आमंत्रित कर लेते हैं .शरीर के मुख्य अंग लिवर हृदय ,किडनी हैं और के प्रभावित होने से हम अनेकों जटिल और असाधय बिमारियों से ग्रसित हो जाते हैं ,कभी कभी इलाज़ न मिलने पर भी बीमारी लाइलाज हो जाती हैं और समय पर उनका बचाव कर लिया जाय तो सुखद होता हैं .बचाव ही इलाज हैं .
महिलाओं में किडनी की समस्या होने का खतरा ज्यादा होता है, दुनियाभर में किडनी की बीमारी से प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। मेडिकल साइंस में इसे क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) कहते हैं। सीकेडी यानी किडनी का काम करना बंद कर देना। इस बीमारी से उबारने के लिए और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए मार्च के दूसरे गुरुवार को वर्ल्ड किडनी डे मनाया जाता है।
इस बार वल्र्ड किडनी डे और विश्व महिला दिवस एक साथ होने की वजह से इस बार की थीम भी महिलाओं पर कें द्रित है। महिलाओं में इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। शुरुआती स्टेज में इस बीमारी को पकड़ पाना मुश्किल है क्योंकि दोनों किडनी के करीब 60 फीसदी खराब होने के बाद ही खून में क्रिएटनिन बढऩा शुरू होता है। रक्त में पाए जाने वाले वेस्ट को ही क्रिएटनिन कहते हैं। सामान्यत: किडनी इसे छानकर शरीर से बाहर निकाल देती है लेकिन कई बार शरीर में स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याएं होने के बाद किडनी इसे बाहर
नहीं कर पाती यही कारण रक्त में इसका स्तर बढऩे लगता है। अंगूर खाएं क्योंकि ये किडनी से फालतू यूरिक एसिड निकालते हैं। मैग्निसियम किडनी को सही से काम करने में मदद करता है, इसलिए ज्यादा मैग्नीशियम वाली यानी गहरे रंग की सब्जियां खाएं। कुछ अध्ययनों के मुताबिक, महिलाओं में पुरुषों की तुलना में गंभीर किडनी रोग की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। दोनों का औसत निकाला जाए तो महिलाओं में गंभीर किडनी रोग की समस्या 14 प्रतिशत होती है जबकि पुरुषों में 12 प्रतिशत। 19.50 करोड़ महिलाएं
विश्व में किडनी रोग से हैं प्रभावित। 40 साल की उम्र के बाद हर साल 1 फीसदी की दर से कमजोर होने लगती है किडनी। 10 में से 1 शख्स को है किडनी रोग। 02 लाख लोगों को भारत में हर साल किडनी रोग हो जाता है। महिलाओं में ज्यादा होता है किडनी रोग का खतरा।
इन आदतों से तौबा करे , वरना फेल हो जाएगी किडनी भारत में किडनी फेलियर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अक्सर लोग डॉक्टर की सलाह लेने के बजाय सीधे मेडिकल स्टोर से सिरदर्द और पेट दर्द की दवाएं लेकर खा लेते हैं। इनसे किडनी को नुकसान पहुंचता है। आज हम उन आदतों के बारे में बता रहे हैं जो किडनी की प्रॉब्लम की वजह बन रही हैं। भारत में किडनी फेलियर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अक्सर लोग डॉक्टर की सलाह लेने के बजाय सीधे मेडिकल स्टोर से सिरदर्द और पेट दर्द की दवाएं लेकर खा लेते हैं। इनसे किडनी
को नुकसान पहुंचता है। आज हम उन आदतों के बारे में बता रहे हैं जो किडनी की प्रॉब्लम की वजह बन रही हैं। ज्यादा नमक खाना : ज्यादा नमक खाने से किडनी खराब हो सकती हैं। नमक में मौजूद सोडियम ब्लड प्रेशर बढ़ाता है, जिससे किडनी पर बुरा असर पड़ता है।
ज्यादा नॉनवेज खाना : मीट में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है। ज्यादा मात्रा में प्रोटीन डाइट लेने से किडनी पर मेटाबॉलिक लोड बढ़ता है, जिससे किडनी स्टोन की समस्या हो सकती है। बहुत ज्यादा दवाएं : छोटी-छोटी समस्या आने पर एंटीबायोटिक या ज्यादा पेनकिलर्स लेने की आदत किडनी पर बुरा असर डाल सकती है। डॉक्टर्स से पूछे बगैर ऐसी दवाएं न लें। ज्यादा मात्रा में और नियमित अल्कोहल के सेवन से आपके लिवर और किडनी पर बहुत बुरा असर पड़ता है। ज्यादा कोल्ड ड्रिंक भी नुकसानदेह होती है। सिगरेट या तंबाकू : सिगरेट या तंबाकू के सेवन से टॉक्सिंस जमा होने लगते हैं, जिससे किडनी डैमेज होने की समस्या हो सकती है। इससे बीपी भी बढ़ता है, जिसका असर किडनी पर पड़ता है। यूरिन रोककर रखने पर ब्लैडर फुल हो जाता है। यूरिन रिफ्लैक्स की समस्या होने पर यूरिन ऊपर किडनी की ओर आ जाती है। इसके बैक्टीरिया के कारण किडनी इंफेक्शन हो सकता है। महिलाओं में यह प्रवत्ति अधिकांश देखी जाते हैं .समुचित सुविधा के आभाव में वे बहुत देर तक पेशाब रोक कर रखती हैं .इसके लिए उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए और सार्वजनिक स्थलों में उपलब्ध साधनों का उपयोग करना चाहिए . पानी कम या ज्यादा पीना : रोज 8-10 गिलास पानी पीना जरूरी होता है। इससे कम पानी पीने पर शरीर में जमा टॉक्सिंस किडनी फंक्शन पर बुरा असर डालते हैं। ज्यादा पानी पीने पर भी किडनी पर प्रेशर बढ़ता है।