मूवी रिव्यु : ‘मुल्क’ मूवी में ऋषि कपूर और तापसी पन्नू की एक्टिंग देखने लायक, आतंकवाद और इस्लाम जैसे बड़े मुद्दों को उठाती है !
नई दिल्ली (न्यूज़ ग्राउंड) :सिन्हा की 'मुल्क' में वकील बनी तापसी जब आतंकवाद के शक में
आरोपी बनाए गए मुसलमान चरित्र मुराद अली मोहम्मद का रोल निभानेवालेऋषि
कपूरसे पूछती है, 'एक आम देशप्रेमी कैसे
फर्क साबित करेगा दाढ़ी वाले मुराद अली मोहम्मद में और उस दाढ़ीवाले टेरेरिस्ट में? कि आप एक अच्छे
मुसलमान हैं, आतंकवादी नहीं? आप देश के प्रति अपने प्रेम को कैसे साबित करेंगे?' तो फिल्म का किरदार
ऋषि ही नहीं बल्कि दर्शक भी बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो जाता है। इसमें कोई शक
नहीं कि लेखक-निर्देशक अनुभव सिन्हा की 'मुल्क' आज के दौर की सबसे ज्यादा जरूरी फिल्म बन पड़ी है। अनुभव फिल्म में हम
(हिंदू) और वो (मुसलमान) के बीच के विभाजन की ओर ध्यान आकर्षित करके आज के धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक
परिदृश्य पर करारा प्रहार करते हैं। अनुभव सिन्हा की मुल्क सामायिक और साहसी फिल्म है। यह आज
के समय के सबसे सेंसिटिव टॉपिक को उठाती है। किसी विशेष धर्म के प्रति हमारे
पूर्वाग्रह और जिंदगी सकंट में पड़ते ही हम कैसे धर्मनिरपेक्षता जैसी बातों को भूल
जाते हैं इस फिल्म में दिखाया गया है। मुल्क इस मुद्दे को भी उठाती है कि क्या
आतंकवाद को इस्लाम से ही जोड़ा जाना चाहिए। हमारी राय क्यों बदल जाती है कि जब हम
सुनते हैं कि आदमी मुस्लिम कम्यूनिटी से संबधित है। मुराद अली मोहम्मद (ऋषि कपूर)
बनारस में रहने वाली मुस्लिम फैमिली के मुखिया है। फैमिली में उनकी वाइफ तब्बसुम
(नीना गुप्ता), बेटा (इंद्रनेल सेनगुप्ता), बहू आरती मोहम्मद (ताप्सी
पन्नू), भाई बिलाल (मनोज पहवा), बिलाल की बीवी और बच्चे
हैं। मुराद उस एरिया का सम्मानित वकील है। वे खुशी- खुशी अपना जीवन जी रहे होते
हैं। तभी अचानक बिलाल का बेटा शाहिद प्रतीक बब्बर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल
पाया जाता है जिसमें कई लोगों की जान चली जाती है। मामले की तहकीकात एटीएस ऑफिसर
जावेद ( रजत कपूर) करते है। जिसे शक है कि मुराद की पूरी फैमिली आतंकवाद फैलाने
में लिप्त है। बिलाल को बेटे के साथ मिलकर आतंकवादी गतिविधियों को करने का दोषी
पाया गया है। मुराद की फैमिली इस षडयंत्र के विरुद्ध लड़ने का निश्चय करती है। आरती
जो कि एक हिंदु फैमिली से है, मुराद के साथ लड़ती है। वो फैमिली को इस आरोप से बाहर
निकालने का ही नहीं मुस्लिमों को लेकर लोगों के मन जो पूर्वाग्रह हैं उन्हें भी दूर
करती है। अनुभव सिन्हा ने इस मुद्दे को सधे हए तरीके से दिखाया है। हिंदू- मुस्लिम
फैमिली शांति के साथ रहते हैं। मन में बसे पूर्वाग्रह को बारीकी से दिखाया गया है।
जैसे कि एक हिंदू महिला मुराद के घर में खाना खाने के लिए मना कर देती है। यहां तक
कि वे मुराद के 60वें जन्मदिन की पार्टी में शामिल भी नहीं होना चाहती। कहानी के
दो कम्यूनिटी बीच प्यार और नफरत दोनों को कहानी को दिखाया गया है। कहीं भी अपने
सब्जेक्ट से भटकती नजर नहीं आती। मुल्क, समाज को आईना दिखाती सी
लगती है। सिन्हा ने अपने ओपिनियन के बीच बैलेंस रखा है। फिल्म के एक सीन में शाहिद
अपने दोस्त से बेरोजगार होनी की शिकायत करता है तब उसका दोस्त उसे कुछ हिंदू
दोस्तों की याद दिलाता है जिनके पास भी जॉब नहीं है। यहां ये भी समझाने की कोशिश
की गई है कि हमेशा मुस्लिम ही पीड़ित नहीं है। ऋषि कपूर ने मुराद अली का किरदार शानदार
तरीके से निभाया है। वे न सिर्फ अपनी फैमिली और कम्यूनिटी के लिए पाले गए
पूर्वाग्रहों के लिए लड़ते हैं बल्कि सिचुएशन से बचकर निकलने के लिए भी मना कर देते
हैं। तापसी पन्नू की परफॉर्मेंस प्रभावित करती है। क्लाइमैक्स सीन में उनका पंच
शानदार है। बाकी की कास्ट नीना गुप्ता, प्राची शाह, प्रतीक बब्बर, मनोज पहवा ने भी अच्छा
काम किया है। आशुतोष राणा जिन्होंने डिफेंस लॉयर के किरदार को निभाया है स्क्रीन
प्रेजेंस कमाल का है, लेकिन कोर्टरूम में उनका अभिनय लय से बाहर जाता सा लगता है।
सिन्हा ने मुराद की फैमिली और उसके आसपास की दुनिया को रियलस्टिक रखा है। लेकिन
कोर्टरूम के सीन्स में मेलोड्रामा लगता है। फिल्म का म्यूजिक नीरस है। फिल्म को
जरूर देखना चाहिए क्योंकि ये रिलेवेंट होने के साथ ही हमें अपने अंदर झांकने का
मौका देती है।