नईदिल्ली (न्यूज़ग्राउंड ) आकाश मिश्रा : पहले से ही सब्जियों के दाम आसमान पर चढ़े हुए हैं और उसके बाद
मिलावट अब बेचारा ग्राहक करे तो क्या करें. दरअसल सब्जियों में यह मिलावट किसान कर
रहे हैं. किसान लौकी, कद्दू, करेला जैसी सब्जियों का वजन
बढ़ाने के लिए इनमें खतरनाक ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगा रहे हैं.यह इंजेक्शन लगने के
बाद यह सब्जियां एकदम से ही तंदुरुस्त हो जाती हैं और इनका वजन बढ़ जाता है. वहीं
परवल जैसी सब्जियों पर चमक के लिए कलर का प्रयोग किया जा रहा है.मुनाफा वसूली के
चलते इस समय हर चीज में मिलावट हो रही है, फिर
चाहे वह मसाले, सब्जी
या फिर ताकत प्रदान करने वाले फल सभी में मिलावट की जा रही है. सबसे महत्वपूर्ण तो
यह कि जो सब्जियां जितनी ताजी और चमकदार दिखाई देती है उतनी ही खतरनाक साबित हो
रही है.विशेषज्ञों
का तो यहां तक कहना है कि जिन सब्जियों में कीड़े हो वह खरीदना ज्यादा मुनासिब है
बजाय चिकनी और तरोताजा सब्जियों के, क्योंकि
कीड़े मारने के लिए जिन केमिकल्स का प्रयोग हो रहा है वह वास्तव में सेहत और
सौन्दर्य के लिए घातक है. यहां तक कि त्वचा में सफेद दाग जैसी बीमारियां इन्हीं
केमिकल्स की वजह से फैल रही है.इसलिए
बेहतर होगा कि कीड़े वाली सब्जियाँ साफ कर प्रयोग कर ली जाए बजाय कीड़ेरहित सब्जी
या फल के चमकती सब्जियों का सेवन लोगों को काफी नुकसान पहुंचाता है और इनके प्रयोग
से नुकसान तो होता ही है, साथ
ही व्यक्ति के शारीरिक विकास पर भी प्रभाव पड़ सकता है. डॉक्टर्स के मुताबिक लंबे
समय तक मिलावटी सब्जियों के सेवन करने से व्यक्ति के शरीर पर खासे दुष्प्रभाव हो
सकते हैं,
इसलिए अगली बार जब आप
सब्जियां खरीदने जाएं तो थोड़ा संभलकर, कहीं
पूरे पैसे चुकाकर ताजी सब्जियों की आड़ में आप बीमारी तो नहीं खरीद रहे हैं. 8 सालकीबच्चीकेदिमागकेटेपवर्मयानीफीताकृमि (टेपवर्म) के100 सेअधिकअंडेमिलेहैं।सिरदर्दसेशुरूहुईयहबीमारीतबगंभीरहोगईजबलड़कीकोमिर्गीकेदौरेपड़नेशुरूहोगए।दिल्लीकेफॉर्टिसहॉस्पिटलमेंब्रेनकेऑपरेशनकेबादअबवहस्वस्थहैलेकिनइसछोटीसीबच्चीकेलिएयहसफरकाफीतकलीफोंभरारहाहै।गुरुग्रामकीरहनेवाली8 सालकीबच्चीकोपिछले6 माहसिरदर्दकीशिकायतथी।दर्दकेकारणबार-बारदौरेभीपड़े।पेरेंट्सउसेलेकरदिल्लीकेफोर्टिसहॉस्पिटलपहुंचे।जांचमेंसामनेआयाकिब्रेनमेंकुछसिस्टमौजूदहैं।डॉक्टरोंमेंलक्षणोंकेआधारपरमानाकिलड़कीन्यूरोसिस्टीसरकोसिसबीमारीसेपरेशानहैऔरइलाजकियागया।उसेसूजनकोकमकरनेकेलिएदवाइयांदीजानेलगीं।
बढ़ता गया दर्द और दौरों का दौर : उसके दौरों को मिर्गी का दौरा
समझकर काफी समय समय दवाएं दी गईं। इसके बाद भी कोई असर नहीं हुआ और सिरदर्द बढ़ता
गया। गंभीरता इस स्तर पर बढ़ गई कि बच्ची को सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी।
ऐसी स्थिति में सिटी स्कैन किया गया। रिपोर्ट में पता चला कि उसके ब्रेन में 100 से ज्यादा सिस्ट हैं। जिन्हें ध्यान से देखने के बाद डॉक्टर
समझ पाए कि ये टेपवर्म अंडे हैं। इसे बीमारी को न्यूरो-सिस्टीसरकोसिस कहा जाता है।
ब्रेन का ऑपरेशन : बीमारी की मुख्य वजह पता चलने
के बाद ब्रेन का ऑपरेशन कर सिस्ट को निकाला गया। बच्ची की हालत में सुधार है।
लेकिन, बड़ा सवाल है कि ये अंडे बच्ची के
दिमाग तक कैसे पहुंचे। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुड़गांव स्थितफ़ोर्टिस अस्पताल में न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर
डॉ. प्रवीण गुप्ताकी देखरेख में बच्ची का इलाज चल
रहा है। डॉ. प्रवीण के अनुसार साफ-सफाई न रखने पर दूषित खानपान और अधपकी चीजें
खाने से टेपवर्म पेट में पहुंच जाते हैं। शरीर में खून के प्रवाह के साथ ये
अलग-अलग हिस्सों में चले जाते हैं।
क्या है टेपवर्म : टेपवर्म यानी फ़ीताकृमि एक परजीवी
है। यह अपने पोषण के लिए दूसरों पर आश्रित रहता है। इसकी 5000 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। इसकी लंबाई 1 मिमी से 15 मीटर तक हो सकते हैं। इसके शरीर
में डायजेस्टिव सिस्टम न होने के कारण पचा-पचाया भोजन ही खाता है।
एसएमएस हॉस्पिटल जयपुर के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर
महर्षि : के अनुसार ऐसे लोग जो पॉर्क
मीट (सुअर का मांस) खाते हैं उनमें टेपवर्म होने की आशंका अधिक होती है। दूषित
पत्तागोभी, पालक जैसी सब्जियों से भी इसके
फैलने का खतरा रहता है। खासकर बारिश के दिनों में ऐसी सब्जियों को खाने से बचें।
इसके अलावा गंदे पानी और मिट्टी में उगाई गई सब्जियों से भी यह फैलता है। दूषित और
अधपका पॉर्क मीट, मछली और सब्जियों से यह टेपवर्म
शरीर में पहुंचता है। यहां इसके अंडे से निकलने वाला लार्वा रक्त के संपर्क में
आने पर ब्रेन तक पहुंचता है।
कब हो जाएं अलर्ट : डॉ. सुधीर महर्षि के अनुसार
अगर किसी को अक्सर सिरदर्द की शिकायत रहती है या दौरे पड़ते हैं तो न्यूरोलॉजिस्ट
से मिलें। इसके अलावा कई बार व्यक्ति के बिहेवियर में भी बदलाव आना इसका एक लक्षण
हो सकता है। क्योंकि इसका लार्वा ब्रेन के जिस हिस्से में होता वहां की
कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है।
क्या करें, कैसे बचें : - सब्जियों को अच्छे से धोकर और
पकाकर ही खाएं।
- खासकर बारिश में दिनों में सलाद
और कच्ची सब्जी खाने से बचें।
- दूषित मीट और अधपकी मछली खाने से
बचें।
- फिल्टर पानी का इस्तेमाल करें।
- बारिश के दिनों में संभव हो तो
पानी को उबालकर ठंडा करके ही पीएं।